Saturday, October 29, 2011

हम शर्मिंदा हैं

किसी देश को समाप्त करना है तो उसके इतिहास को समाप्त कर दीजिये.यह उक्ति ब्रिटिश अफसरों ने अपनाई थी और उसका नतीजा सामने है. कितने व्यक्ति आज के दिन हमारी राष्ट्र भाषा को जानते हैं, हमारे इतिहास एवं संस्कृति को जानते हैं. अत्यंत शर्मिंदा करने वाले अनेकों कार्य इस देश में लगातार हो रहे हैं. राजनीति शास्त्र हम विदेशी सीखते हैं, अनुशासन हम विदेशी सीखते हैं, भाषा हम विदेशी सीखते हैं. १०० वर्ष और रुक जाइए भारत का  इतिहास बिल्कुल मिट जाएगा हमारे बच्चों के भीतर से. झांसी की रानी की वीरता की कहानियां हम भूल चुके हैं. गीता हम अंग्रेजी में पढ़ते हैं. धर्म को हम पाखण्ड मानते हैं और हिंदी बोलने वाले को पाखंडी. बहुत बुरा लगता है यह देख कर कि अपना कद ऊंचा करने के लिए जब दो हिंदी भाषी अंग्रेजी में बात करते हैं. भारत वर्ष तो कब का टूट चुका है, हिंद भी टूट गया तो हमारा अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा. 


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