"एक
और नया भारत कहता है कि पाश्चात्य भाव, भाषा, खान-पान और वेश भूषा का
अवलंबन करने से ही हम लोग पाश्चात्य शक्तियों की भांति शक्तिमान हो सकेंगे।
दूसरी और प्राचीन भारत कहता है कि मूर्ख!नक़ल करने से कहीं दूसरों का भाव
अपना हुआ है? बिना उपार्जन किये कोई वास्तु अपनी नहीं होती। क्या सिंह की
खाल पहन कर गधा कहीं सिंह हुआ है?
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