Saturday, November 22, 2014

तुमसे दूर जाने की


मैनें कई बार 
कोशिश की है
तुम से दूर जानें की,
लेकिन 
मीलों चलनें के बाद
जब मुड़ कर देखता हूँ
तो तुम्हें 
उतना ही करीब पाता
हूँ |

तुम्हारे इर्द
गिर्द 
वृत्त की
परिधि बन कर रह गया
हूँ मैं ।

कवि अज्ञात 


Tuesday, November 11, 2014

जीवन की विशिष्टता

हमारे जीवन की विशिष्टता इस बात में है कि हम असंभव एवं मुश्किल परिस्थितियां का सामना किस प्रकार करते हैं। लघु बुद्धि वाला मनुष्य स्वयं को इस प्रकार की परिस्थितियों में समाप्त कर लेता है तथा स्थिर बुद्धि वाला मनुष्य इस प्रकार की परिस्थितियों  में स्वयं को संयमित रख जीवन यापन करता है। कहते हैं यदि रास्ता मुश्किल हो तो वह हमेशा सुन्दर मंजिलों की तऱफ ले जाता है अतः आवश्यक है कि इस प्रकार के समय को हम संयमित करके निकलें।हर मुश्किल परिस्थिति हमें कुछ सिखाने आती है तथा साथ में लाती है बहुत से नव संघर्ष जो हम उन परिस्थितियों का सामना करने के बाद करते हैं।  स्थिर एवं विवेकशील बुद्धि का व्यक्ति सभी प्रकार की परिस्थितियों का समभाव से सामना कर आगे बढ़ता है।  न केवल हमें आगे  बढ़ने की आवश्यकता है ;अपितु आवश्यकता है कि हम आगे बढ़ते हुए अपनी बुद्धि को स्थिर रखें। 

याद है/ Unknown Author

याद है,
तुम और मैं
पहाड़ी वाले शहर की
लम्बी, घुमावदार,
सड़्क पर
बिना कुछ बोले
हाथ में हाथ डाले
बेमतलब, बेपरवाह
मीलों चला करते थे,
खम्भों को गिना करते थे,
और मैं जब
चलते चलते
थक जाता था
तुम कहती थीं ,
बस
उस अगले खम्भे
तक और ।

आज
मैं अकेला ही
उस सड़्क पर निकल आया हूँ ,
खम्भे मुझे अजीब
निगाह से
देख रहे हैं
मुझ से तुम्हारा पता
पूछ रहे हैं
मैं थक के चूर चूर हो गया हूँ
लेकिन वापस नहीं लौटना है
हिम्मत कर के ,
अगले खम्भे तक पहुँचना है
सोचता हूँ
तुम्हें तेज चलने की आदत थी,
शायद
अगले खम्भे तक पुहुँच कर
तुम मेरा
इन्तजार कर रही हो !