मेरा जीवन राष्ट्र, धर्म एवं हिंदी को समर्पित है. अपना अंदाज मैं स्वयं हूँ. मेरी शिक्षक मेरी पुस्तकें एवं मेरा मस्तिष्क है. अब ज़रा कुछ नया प्रारंभ किया जाए. थोमस एल्व एडिसन ने एक बार कहा था कि १००० निष्क्रिय विचारों से १ सक्रीय विचार अधिक महत्वपूर्ण है. निष्क्रियता छोड़ समर में कूदने का समय आ गया है, वह भी अत्यंत वेग से. माँ भारती हमेशा की तरह मेरा मार्ग प्रशस्त करेगी. जय हिंद.
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