Monday, November 12, 2012

नमस्कार

राम गइओ रावन गइओ, जाको बहु परिवार।
कहु नानक थिरु कुछ नहीं, सुपने जिऊँ संसार॥

एक बेहद सुन्दर साखी के साथ आप सब को प्रणाम। श्री गुरु तेग बहादुर के द्वारा रचित इस साखी में वे कहते हैं कि इस संसार से श्री राम भी चले गए, रावण भी चला गया, वे कहते हैं कि आपका कुछ नहीं है और यह संसार एक स्वप्न की तरह है। इस दीपावली के शुभ अवसर पर जब आधा भारत इस बात को सोचने में व्यस्त है कि श्री राम अच्छे पति थे या बुरे थे; ऐसे समय में जब भारत के राजनेता अपनी जुबान पर से पूरा नियंत्रण खो चुके हैं। त्योहारों को एक व्यापार बना दिया गया है; ऐसे समय में आइये हमारी जड़ों में चलें और ऐसे शब्द खोज कर लायें जो इस अँधेरे में रौशनी का एहसास करवाए और हमें इन व्यर्थ चिंताओं से और व्यर्थ दौड़ से मुक्त करवाए। यह दीपावली आप सब के परिवारों के लिए एक नयी रौशनी लेकर आये जिससे आपके अन्दर का अधकार मिटे; बाहर का नहीं। क्या हम  रावण के पैरों की धूल बनने के लायक भी हैं जो श्रीराम के चरित्र के बारे में बोलने के समर्थ हो गए हैं।माँ भारती आपका मार्ग प्रशस्त करे। जय हिन्द।

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