Saturday, August 8, 2015

बाहर किसकी है माया

एक खूबसूरत गीत है, उसकी शुरूआती पंक्तियाँ उस से भी अधिक खूबसूरत।
"जे मैं तैनूं बाहर ढूँढाँ तो भीतर कौन समाया। 
जे मैं तैनूं भीतर ढूँढाँ , बाहर किस दी है माया। "

इस खूबसूरत पंक्ति को हम मानव चरित्र के हर पहलू के साथ जोड़ सकते हैं। यदि आप ईश्वर को मानते तो इसे ईश्वर के साथ जोड़ेंगे; यदि किसी रूठे हुए को मनाने निकले हैं तो उसके साथ जोड़ेंगे। पर यह जुड़ेगा अवश्य। मानव जीवन एक तलाश है और इस तलाश का महत्त्वपूर्ण पहलू है कि आप किसे तलाश रहे हैं ? क्या यह तलाश अनावश्यक नहीं ? पर यदि हम तलाश नहीं करेंगे तो जीवन का एक महत्त्वपूर्ण उद्देश्य समाप्त हो जाएगा।

राही का तो काम है चलता ही जावे।  आप जितना आगे बढ़ेंगे तलाश उतनी ही गहन हो जाएगी और साथ में आपका अभियान भी तेज हो जायेगा।  चलना न छोड़ें; यह तलाश ही जीवन है। 

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